
दिल्ली हजरत निजामुद्दीन, बदायूँ, अजमेर शरीफ, देवा शरीफ और जौनपुर की भांति बिहार राज्य के नालंदा जिले का बिहार शरीफ नगर भी उत्तर पूर्व भारत के ख्याति प्राप्त स्थलों में से है।
दिल्ली हजरत निजामुद्दीन, बदायूँ, अजमेर शरीफ, देवा शरीफ और जौनपुर की भांति बिहार राज्य के नालंदा जिले का बिहार शरीफ नगर भी उत्तर पूर्व भारत के ख्याति प्राप्त स्थलों में से है।
दिल्ली भारत की राजधानी है। भारत का राजनीतिक केंद्र होने के साथ साथ समाजिक, आर्थिक व धार्मिक रूप से इसका बहुत बड़ा महत्व रहा। प्राचीन समय से यहां अनेक धर्म,
देवगढ़ उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह ललितपुर से दक्षिण पश्चिम में 31 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां तक पक्की सड़क जाती है।
हाजी वारिस अली शाह 1819 से 1905 की अवधि के एक मुस्लिम सूफी संत रहे है। वारिस अली शाह का जन्म 1819 देवा शरीफ, बारांबंकी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
अहिच्छत्र उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में स्थित है। आंवला स्टेशन से अहिच्छत्र क्षेत्र सडक मार्ग द्वारा 18 किमी है। अहिच्छत्र क्या है? अहिच्छत्र स्थान एक प्रसिद्ध जैन
कम्पिला या कम्पिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अछनेरा – कानपुर शाखा के कायमगंज स्टेशन से 8 किमी
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मरसलगंज (ऋषभनगर) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फिरोजाबाद से 22 किलोमीटर दूर है। यहां अब जैनों का कोई घर नहीं है। किन्तु इसके पास ही
आगरा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। मुख्य रूप से यह दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा धर्म का भी आतिशय क्षेत्र रहा है। मुगलकाल से पूर्व और
चन्द्रवाड़ प्राचीन जैन मंदिर फिरोजाबाद से चार मील दूर दक्षिण में यमुना नदी के बांये किनारे पर आगरा जिले में अवस्थित है। यह एक ऐतिहासिक नगर रहा है। आज भी
शौरीपुर नेमिनाथ जैन मंदिर जैन धर्म का एक पवित्र सिद्ध पीठ तीर्थ है। और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की जन्म स्थली है। शौरीपुर बटेश्वरनाथ से 4किमी की
त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव या बड़ा गांव जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान दिल्ली सहारनपुर सड़क मार्ग उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेडका कस्बे के
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में नगीना रेलवे स्टेशन से उत्तर पूर्व की ओर बढ़ापुर नामक एक कस्बा है। वहां से चार मिल पूर्व की कुछ प्राचीन अवशेष दिखाई पड़ते
शकुंतला दुष्यंत की प्रेम कहानी की शुरुआत– एक बार राजा दुष्यन्त शिकार को निकले। मृग का पिछा करते हुए वे बहुत दूर निकल गए। मृगया के उद्देश्य से वह एक
दमयंती विदर्भ देश की भीष्मक नाम राजा की पुत्री थी। राजा भीष्मक ने संतान प्राप्ति हेतु दमन ऋषि की सेवा की और उन्ही के आशीर्वाद से भीष्मक के चार संतानें
शिवि नरेश की कन्या का नाम तारा था। शिवि देश और वहां के राजा की पुत्री होने के कारण लोग इसे शैव्या नाम से भी पुकारते थे। शैव्या जब विवाह