ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां Naeem Ahmad, November 12, 2019March 17, 2024 राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। यह स्थान सडक और रेल मार्ग दोनों से जुडा है। ओसियां अपने प्राचीन मंदिरों और स्मारकों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां अनेक प्राचीन मंदिर और देवालय है, खासकर ओसियां का सच्चियाय माता मंदिर विश्व विख्यात है। भक्तों में सच्चियाय माता के प्रति अपार श्रृद्धा भावना है। इसके अलावा ओसियां का जैन मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। साल में यहां दो मेले भी लगते है। जिसमें बडी संख्या में माता के भक्त भाग लेते है।इसके अलावा यहां के इन देवालयों का 8 वी और 12 वी शताब्दी का प्राचीन होने के कारण इतिहास में रूचि रखने वाले हजारों देशी और विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का भी केन्द्र है। ओसियां का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ ओसियां राजस्थानओसियां का प्राचीन इतिहास बताता है कि इस नगर को पूर्व में अंकेश, उरकेश, नवनेरी, मेलपुरपत्तन, आदि कई नामों से संबोधित किया गया है। कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि ओसवाल वैश्यों का उत्पत्ति स्थान होने के कारण यह स्थान ओसियां कहलाता है। एक किवदंती के अनुसार ओसियां पहले समय में एक समृद्ध लोगों का नगर था। जैन आचार्य श्री प्रभसूरि जी ने यहां के लोगों को सत्य अहिंसा आदि का उपदेश देकर जैन धर्म की शिक्षा दीक्षा दी थी।सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगहकहा जाता है कि ओसियां मे ही एक चमत्कारी देवी का मंदिर था। जहां पशुओं की बलि दी जाती थी। बहुत बडी संख्या मे देवी के भक्त जब अहिंसक हो गए, तो वहां पशुओं की बलि दी जानी कम हो गई। देवी ने प्रगट होकर अहिंसक लोगों को कष्ट देना प्रारम्भ किया। कहा जाता है कि आचार्य श्री ने देवी को यह कह कर संतुष्ट कर लिया कि उसे मांस मदिरा आदि वस्तुओं के स्थान पर मीठे व्यंजनों का भोग चढाया जाएगा और देवी संतुष्ट हो गई। तभी से ओसियां के देवी उपासकों ने उसकी पूजा चावल, लापसी, पूआ, आदि से करनी शुरु कर दी।ओसियां के दर्शनीय स्थलओसियां से वैश्यों का जो कुल बाहर आया वह ओसवाल कहलाया। इस लिए ओसवालों की कुल देवी सच्चियाय माता का मंदिर भी यहां स्थित है। प्राचीन मारवाड़ राज्य और वर्तमान जोधपुर जिले के बहुचर्चित नगर ओसियां में प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष यहां की पुरातन गाथा के एकमात्र आकर्षण है। माना जाता हैं कि किसी समय यहां लगभग 108 मंदिर थे। वर्तमान में यहां आठवीं और बाहरवीं शताब्दी के बने कोई 16 हिन्दू और जैन मंदिर है। जिनमें शिव, विष्णु, सूर्य, ब्रह्मा, अर्धनारीश्वर, हरिहर, नवग्रह, दिकपाल, श्रीकृष्ण, महावीर, और देवी के अनेक रूपों की मूर्तियां दर्शन के महत्व की प्रमुख हैराजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थलसमय की धारा ने मूर्ति और मंदिरों के बाह्य रूप को भले ही कम कर दिया हो, पर इसमे छिपी अन्तर्शक्ति और चेतना अब भी ज्यो की त्यों है। कला का मूल्य उसके दर्शक से, और मूर्ति का मूल्य उसके आराधक से जाना जाता हैं। पुरातात्त्विक विशेषज्ञों के अनुसार आठवीं-नवीं शताब्दी में राजस्थान की प्रतिहार कालीन पूर्व मध्ययुगीन कला के उल्लेख में ओसियां के प्राचीन मंदिर अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करते है। वास्तव में गूजर प्रतिहार युग का राजनैतिक इतिहास तो बहुत मिलता है। लेकिन उस समय की मूर्ति के विषय में अधिक नहीं लिखा गया है।धनोप माता मंदिर भीलवाड़ा राजस्थान – धनोप का इतिहासओसियां का हरिहर मंदिर राजस्थान में अद्यावधिज्ञात पंचायतन शैली का सर्वप्रथम मंदिर है। जिसमें रचना की विविधता देखते ही बनती है। यहां मंदिर के दाहिने वाले लघु देवालय के बाहरी भाग में एक बारह हाथों वाली देवी की प्रतिमा है। जिसका वाहन सिंह उसके पास बैठा चित्रित है। देवी ने नृत्य मुद्रा में शैवियुध धारण कर रखे है। वे दाहिने हाथ से मांग निकाल रही है। तो बायें हाथ द्वारा पैर में नूपुर पहन रही है। इसमें केश विन्यास की स्थिति पर गोल दर्पण की विद्यमानता ने प्रतिमा के सौष्ठव में पर्याप्त वृद्धि की है। इसी हरिहर मंदिर के बाहरी अधिष्ठान के नीचे एक ताख में बद्धाजंलि व पद्मानस्थ देव की प्रतिमा जडी है। आयुध या हिंसक चित्रण का यहां सर्वथा अभाव है। चार सहायक मंदिरों से युक्त यह मुख्य हरिहर मंदिर पंचायतन शैली का भव्य उदाहरण है। जो खुजराहो मंदिर समूह की भांति ही ऊंची चौकी पर बना हुआ है। लेकिन दूसरी थरफ इस मंदिर के शिखर उडीसा शैली के प्रारंभिक शिल्प को प्रकट करते है। हरिहर मंदिर में खुले स्तंभ मंडप है। जिनका निचला भाग ढलवा और सुंदर कलाकारी से युक्त है।एनी बेसेंट का जीवन परिचय हिन्दी मेंहरिहर मंदिर के पास ही त्रिविक्रम मंदिर के पार्श्व भाग में एक ओर चक्र पुरूष और दूसरी ओर शंख पुरूष खडे है। जो पूरी तरह योग नारायण भाव को अभिव्यक्त करते है। ओसियां के इन मंदिरों के बाहरी भाग में श्रीकृष्ण लीला के भी कतिपय संदर्भ उत्कीर्ण है। जिनसे इस युग में कृष्ण भक्ति के महात्मय पर प्रकाश पड़ता है। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि ओसियां में इस विचार धारा को कैसे बढावा मिला। यहां रामायण कालीन एक भी झलक नहीं है। जबकि गूजर और प्रतिहार तो भगवान राम के छोटे भाई के वंशज कहलाते है।कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहासओसियां में एक प्राचीन सूर्य मंदिर भी है। जो यहा के मंदिर समूह में सबसे अधिक आकर्षक है। इसका मुख्य प्रवेशद्वार दो ऊंचे स्तंभों से युक्त है। जो पूरी तरह पारंपरिक संरचना का आभास देता है। यह मंदिर भी पंचायतन शैली का है। जिसके चार सहायक मंदिर सालनुमा परकोटे से जुडे है।यह परकोटे नुमा घेरा यात्रियों के विश्राम हेतु उपयोगी रहता है। सूर्य मंदिर के स्तंभों की फूल पत्ती वाली बनावट देखते ही बनती है। गर्भगृह के द्वार पर दोनों ओर चतुर्वाह आकृतियां बनी है। जिनमें श्रीकृष्ण और बलराम के चित्र महत्वपूर्ण है।दरिया पंथ के प्रवर्तक, संस्थापक, पीठ, शिक्षा और इतिहासओसियां मंदिर समूह का पूर्णतः उदाहरण यहां का जैन मंदिर है। जो भगवान महावीर की प्रतिमा से युक्त है। इसे देखकर लगता हैं कि शायद यह मंदिर भी सर्वप्रथम आठवीं शताब्दी में बना हो और फिर उसमें कुछ परिवर्तन हुए हो। जैन मंदिर के मंडप और स्तंभ और प्रवेशद्वार सर्वाधिक कला वैभव के साक्षी है। जो हमें पूर्व गुप्त काल की याद दिलाते है। इसी ढंग का मलादे मंदिर हम ग्यासपुर मे भी देख सकते है।मणिपुर के त्योहार – मणिपुर के प्रमुख फेस्टिवलओसियां के मंदिरों में दो अन्य मंदिर भी परिचय योग्य है। जैसे पिपलाद माता का मंदिर, और सच्चियाय माता का मंदिर, ये मंदिर आठवीं शताब्दी के तो नहीं है पर बाहरवीं शताब्दी की बनावट वाले अवश्य लगते हैं। ऊंची पहाडी पर परकोटे से घिरे सच्चियाय माता के मंदिर पर आसपास के लोग बच्चों का मुंडन संस्कार कराने जाते है। सच्चियाय माता ओसवालों की कुल देवी है। ओसियां के ऐतिहासिक मंदिरों के पास ही एक बावडी है। जो प्रतिहार कालीन कला विकास का विशेष अंग हैं। प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:— [post_grid id=”6053″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल राजस्थान के प्रसिद्ध मेलेंराजस्थान के लोक तीर्थराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन