
मसूरी (पहाड़ों की रानी) मसूरी टूरिस्ट पैलेस – masoore tourist place
उतरांचल के पहाड़ी पर्यटन स्थलों में सबसे पहला नाम मसूरी का आता है। मसूरी का सौंदर्य सैलानियों को इस कदर
प्रभावित करता है। कि इसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। इस जगह को यमुनोत्री और गंगोत्री के धार्मिक केन्द्रों के लिए प्रवेश द्वार भी माना जाता है । मसूर एक प्रकार की झाड़ी होती है जो एक बार इस क्षेत्र में बहुतायत में पाई गई थी इसी से इसका नाम मसूरी पड़ गया। मसूरी का इतिहास सन् 1825 में केप्टन यंग एक साहसिक ब्रिटिश मिलिट्री अधिकारी और श्री शोर , देहरादून के निवासी और अधिक्षक द्वारा वर्तमान मसूरी स्थल की खोज से आरम्भ होता है तभी इस छुट्टी पर्यटन स्थल की नीवं पड़ी थी।
मसूरी में पर्यटकों को लुभाने वाले अनेक स्थल है। उन्हीं में से कुछ पर प्रकाश डालते है।
गनहिल
मसूरी की दूसरी सबसे उंची चोटी पर रोपवे द्वारा जाने का आनन्द ले । यहाँ पैदल रास्ते से भी पहुँचा जा सकता है । यह रास्ता माल रोड़ पर कचहरी के निकट से जाता है और यहाँ पहुँचने में लगभग बीस मिनट का समय लगता है । रोपवे की लम्बाई केवल 400 मीटर है । सबसे ज्यादा इसकी सैर में जो रोमांच है वह अविस्मरणीय है । गनहिल से हिमालय पर्वत श्रृंखला अर्थात् पंदरपंच श्री काला , पिठवाड ओर गंगोत्री समूह आदि के सुंदर दृश्य देखें जा सकते है। आजादी पूर्व के वर्षो में इस पहाड़ी के ऊपर रखी तोप प्रतिदिन दोपहर को चलाईं जाती थी ताकि लोग अपनी घड़ियाँ सैट कर ले इसी कारण इस स्थान का नाम गनहिल पड गया।
म्युनिसिपल गार्डन
मसूरी का वर्तमान कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन आजादी से पहले तक बोटैनिकल गार्डन भी कहलाता था । कंपनी गार्डन के निर्माता विश्वविख्यात भू वेज्ञानिक डाक्टर एच फाकनार लोगी थे । सन् 1842 के आसपास उन्होंने इस क्षेत्र को सुंदर उघ्धान में बदल दिया था । बाद में कंपनी प्रशासन की देखरेख में होने लगा था । इसलिए इसे कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन कहा जाने लगा।
तिब्बती मंदिर
बौद्ध सभ्यता की गाथा कहता यह मंदिर निश्चय ही पर्यटकों का मनमोह लेता है । इस मंदिर के पिछे की तरफ कुछ ड्रम लगे हुए है । जिनके बारे में मान्यता है कि इन्हें घुमाने से मनोकामना पूर्ण होती है।

चाइल्डर्स लॉज
लाल टिब्बा के निकट यह मसूरी की सबसे उंची चोटी है । टूरिस्ट कार्यालय से यह पांच किलोमीटर दूर है । यहाँ तक घोडे से या पैदल पहुँचा जा सकता है । यहाँ से बर्फ के दृश्य देखना बहुत रोमांचक लगता है।
कैमल बैक रोड
कुल तीन किलोमीटर लम्बा यह रोड लिंक हाल के समीप कुलरी बाज़ार से आरम्भ होता है और लाईब्रेरी बाजार पर जाकर समाप्त होता है। इस सड़क पर पैदल चलना या घुड़सवारी करना अच्छा लगता है । हिमालय में सूर्यास्त का दृश्य यहाँ से सुंदर दिखाई पड़ता है । पब्लिक स्कूल से कैमल रोड जीते जागते ऊँट जैसी लगती है।
झडीपानी फाल
यह फाल मसूरी झडीपानी रोड पर मसूरी से 8.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । पर्यटक झडीपानी तक 7 किमी की दूरी बस या कार द्वारा तय करके यहाँ से पैदल 1.5 किमी दूरी पर झरने तक पहुँच सकते है।
भट्टा फाल
यह फाल मसूरी देहरादून रोड़ पर मसूरी से 7 किमी दूर स्थित है । पर्यटक बस या कार द्वारा यहाँ पहुँच कर आगे की 3 किमी दूरी पैदल तय करके झरने तक पहुँच सकते है । स्नान और पिकनिक की चाह रखने वालों के लिए यह अच्छी जगह है।
कैम्पटी फाल
यमुनोत्री रोड़ पर मसूरी से 15 किमी दूर 4500 फुट की उचाई पर यह इस सुंदर घाटी में स्थित सबसे बड़ा और सबसे खुबसुरत झरना है । जो चारों ओर से ऊचे पहाड़ों से घिरा है । झरने की तलहटी में स्नान तरोताजा कर देता है । और बच्चों के साथ साथ बड़े भी इसका आनन्द उठा सकते है । यह झरना पांच अलग अलग धाराओं में बहता है । जो पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केन्द्र बना रहता हैं इसके चारो ओर पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती है । अंग्रेज़ अपनी चाय दावत अक्सर यही पर किया करते थे । इसलिए झरने का नाम कैंम्पटी ( कैम्प+टी) फाल पड गया । कैम्पटी फाल के निकट कैम्पटी झील है । लोग यहाँ अपने परिवार ओर मित्रों के साथ समय बिताने आते है । यहाँ उपलब्ध नौकायन ओर टॉय ट्रेन की सुविधा बच्चों को खासा लुभाती है । यह स्थल पिकनिक मानाने के इच्छुक लोगों में बहुत ही लोकप्रिय है।
नाग देवता मंदिर
कार्ट मेकैंजी रोड़ पर स्थित यह प्राचीन मंदिर मसूरी से लगभग 6किमी दूर स्थित है । वाहन ठीक मंदिर तक जा सकते है । यहाँ से मसूरी के साथ साथ दून घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
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मसूरी झील
मसूरी देहरादून रोड़ पर यह नया विकसित किया गया पिकनिक स्पॉट है । जो मसूरी से लगभग 6 किमी दूर है । यह एक आकर्षक स्थान है यहाँ पैडल बोट उपलब्ध रहती है यहाँ से दून घाटी ओर आसपास के गावों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
वाम चेतना केन्द्र
टिहरी बाईपास रोड़ पर लगभग 2किमी की दूरी पर यह भी एक विकसित किया गया पिकनिक स्पॉट है । इसके आसपास पार्क है जो देवदार के जंगलों ओर फूलों की झाड़ियों से घिरा है । यहाँ तक पैदल या टैक्सी कार से पहुँचा जा सकता है ।पार्क में वन्य प्राणी जैसे- घुरार, कण्णंकर, हिमालयी मोर, मोननल आदि आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
सर जार्ज एवरेस्ट हाउस
6किमी की दूरी पर भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट की दी पार्क एस्टेट है । उनका आवास और कार्यालय यही पर था । यहाँ सडक मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
ज्वाला जी मंदिर( बेनोग हिल
मसूरी से 9किमी पश्चिम में 2104मीटर की ऊचाई पर ज्वाला जी मंदिर स्थित है । यह बेनोग हिल की चोटी पर बना है । जहाँ माता दुर्गा की पूजा होती है । मंदिर के चारो ओर घना जंगल है । जहाँ से हिमालय की चोटी दून घाटी ओर यमुना घाटी के सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
मसूरी के आसपास भी कई पर्यटन स्थल देखने योग्य है । यमुना ब्रिज यह फिशिंग के लिए एक आदर्श स्थान है । धनोल्टी यह आराम करने का सुविधाजनक स्थान है यहाँ कई टूरिस्ट बंगला है ।इसके अलावा भी सुरखंड देवी ,नाग टिब्बा, भद्रज, सहस्त्रधारा आदि प्रमुख स्थानों का भी आनंद लिया जा सकता है।
कब ओर कैसे
मसूरी दिल्ली ओर अन्य मुख्य नगरों से सड़क द्वारा सीधे जुड़ा है । समीपतम रेलवेस्टेशन देहरादून है यहाँ से टैक्सी ओर बसे नियमित रूप से उपलब्ध रहती है।
मसूरी भ्रमण का सबसे उचित समय मार्च से नवंम्बर का है । वैसे तो पूरे साल कभी भी जाया जा सकता है ।जिसमें वर्षा ऋतु काल जुलाई से सितम्बर तक कुछ परेशान कर सकता है।
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