गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी, हिस्ट्री ऑफ बाबा अटल राय जी Naeem Ahmad, May 22, 2019March 23, 2024 गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी अमृतसर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। हर साल हरमंदिर साहिब जाने वाले लाखों तीर्थयात्रियों में से कई को यह पता ही नहीं चलता है कि अमृतसर के बेहतरीन वास्तुशिल्प चमत्कारों और सिख धर्मों में से एक सबसे मार्मिक पूजा स्थल प्रसिद्ध हरमंदिर साहिब से कुछ ही दूरी पर है। कुछ दो शताब्दियों पहले निर्मित, बाबा अटल गुरु, गुरु हरगोबिंद के पुत्र, बाबा अटल राय के युवा जीवन का एक मार्मिक स्मरण है। इसकी नौ मंजिला इमारत 1628 में उनकी मृत्यु से पहले के उनके नौ वर्षों के जीवन की प्रतिध्वनि है गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब, स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में, सराय गुरु राम दास से लगभग 185 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह नौ मंजिला अष्टकोणीय मीनार, जो 40 मीटर ऊँची है, अमृतसर की सबसे ऊँची इमारत है। मूल रूप से यह एक समाधि, या सेनोटाफ, है। इसे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद के पुत्र, बाबा अटल राय के अवशेषों को यहां सुनिश्चित करते हुए उनकी याद में बनाया गया था। समय के बीतने के साथ,यह एक गुरुद्वारे में बदल दिया गया।हिस्ट्री ऑफ बाबा अटल राय जी,गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी, बाबा अटल राय जी की कहानी, बाबा अटल राय जी की स्टोरी,श्री गुरू हरगोविंद राय जी के समय मे देश भर से यात्री संगत के रूप में श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन व स्नान के लिए आया करते थे। उनके लिए लंगर आदि का प्रबंध इसी स्थान पर किया जाता था। इसके साथ ही कच्चे सरोवर में कमल के फूल भी खिला करते थे। बाबा अटल राय जी अपने साथी मोहन और अन्य बच्चों के साथ इसी गुरूद्वारा वाले मैदान में खेला करते थे। तथा व्यायाम आदि किया करते थे।तानसेन का जीवन परिचय, गुरु, पिता, पुत्र, दूसरा नाम और शिक्षाएक दिन जब अटल राय खेलने के लिए आये तो उन्हें पता चला कि उनके साथी मोहन को रात्रि के समय सांप ने डस लिया है, तो आपने मृत मोहन के गले में छड़ी डालकर जोर से कहा— चलकर अपनी बारी दे और बहाने न बना! इस पर मोहन उठकर खड़ा हो गया। इस घटना की चर्चा चारों ओर होने लगी। बालक अटल राय जी देवी शक्ति के स्वामी थे।परंतु पिता श्री गुरू हरगोविंद साहिब जी ने इस करामात को कहर करके समझाया कि अब तम मृतकों को जिंदा करने लग गये हो। ऐसा करना अकाल पुरख के हुकम में विध्न डालना है। तब बालक बाबा अटल राय जी ने कहा— मै वाहिगुरू को अपने प्राण दे देता हूँ। अतः आप समाधि लगाकर चादर तानकर लेट गये और अपने प्राण त्याग दिये। 24 सितंबर सन् 1628 को आप अकाल पुरख की ज्योति में विलीन हो गये।रोपड़ गुरू मंदिर इटौरा कालपी – श्री रोपड़ गुरु मंदिर का इतिहासउस समय बालक अटल राय जी की आयु 9 वर्ष की थी। इसी तथ्य को आधार बनाकर इस स्थान पर नौ मंजिलों वाली इमारत बनाई गई। यह इमारत 125 फुट जगह के ऊपर 150 फुट ऊंची, 19 फुट चौड़ा मीनार इस स्थान पर बना हुआ है। सन् 1778 में सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया तथा सरदार जोध सिंह की ओर से तीन मंजिल तक ही निर्माण कार्य किया गया था। बाद में सन् 1821 में महाराजा रणजीत सिंह तथा रानी सदाकौर की ओर से बाकी की मंजिले बनवायी गई थी। इस पर सोने का काम सरदार दयाल सिंह के द्वारा कराया गया था।गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी के सुंदर दृश्यबाबा अटल राय जी को अमृतसर का कोतवाल कहा जाता था। इस भव्य इमारत के ऊपरी मंजिलों की दीवारों पर प्रसिद्ध चित्रकारी के द्वारा सि इतिहास से सम्बंधित सुंदर चित्र बने हुए है। इसकी सबसे ऊपरी मंजिल पर खडे होकर सारा अमृतसर शहर देखा जा सकता है।इस स्थान पर सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया की दो सौ साला बरसी 20 अक्टूबर 1983 को सिख पंथ की ओर से धूमधाम से मनाई गई थी। उनके जीवन पर प्रकाश डालने के लिए गुरमति प्रकाश का विशेषांक प्रकाशित कराकर वितरित किया गया था। इस अवसर पर एक सौवीनार भी प्रकाशित किया गया।स्वर्ण मंदिर के सौन्दर्यीकरण तथा गलियारा स्कीम के अधीन गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी के आसपास की इमारतो को धराशायी किये जाने के कारण यहां श्रद्धालुओं का आना जाना बहुत कम हो गया है। अब इस स्थान पर लंगर भी नहीं पकाया जाता। बल्कि संगत अपने घर से लंगर पका कर लाती है। इसलिए यह कहावत बाबा अटल पक्किआं पक्काईआं घल!। गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी के साथ जुड़ गई है। इस स्थान पर होला मोहल्ला का त्योहार मनाया जाता है। प्रति वर्ष 24 सितंबर वाले दिन बाबा अटल राय जी की पुण्य स्मृति में यहा संगत की भारी भीड़ होती है।भारत के प्रमुख गुरूद्वारों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-[post_grid id=’6818′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक गुरूद्वारेगुरूद्वारे इन हिन्दीपंजाब की सैरपंजाब टूरिस्ट पैलेसपंजाब दर्शनपंजाब यात्राभारत के प्रमुख गुरूद्वारे